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Wednesday, January 12, 2011

भ्रस्टाचार का काला खेल -

                                      भ्रष्टाचार किसी भी राष्ट्र के विकास का सबसे बड़ा  बाधक है यदि अभी ही भ्रष्टाचार पर नियंत्रण कर लिया गया  गया तो निश्चित  हि आने वाले दिनों में हमारा राष्ट्र विकसित  राष्ट्रो में गिना जाएगा। भारत विश्व  में भ्रष्टाचार के क्षेत्र में 28 वें स्थान पर गिना जाता रहा है परंतु इस वर्ष के सबसे बड़े-बडे़ घोटालों को देखकर  ऐसा लगता है कि भारत पहले स्थान पर आ गया है। इस वर्ष के सबसे बड़े घोटालों में सुरेश  कलमाड़ी  चर्चा में है जिन्होने कामनवेल्थ गेम्स में लगभग अरबो का घोटाला किया है इसी प्रकार के. राजा द्वारा टू-जी स्पेक्ट्रम में लगभग करोड़ो का घोटाला किया और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पाम आयल आयात घोटाला मामले में केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पी. जे. थामस के खिलाफ मुकदमें को हरीझंडी दे दीहै ।  ये तो वे नाम हुए जो जिनका असल चेहरा खुले तोर पर लोगों के सामने आ गया  है भारत में और भी कई क्षेत्रो में घोटालें होते है जो सामने नहीं आते है।                                                      
                                 यहां एक छोटे से पद पर कार्यरत् कर्मचारी से लेकर बड़े-बड़े पदो पर नियुक्त अधिकारी तथा बड़े-बड़े नेता भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते है। अगर भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है तो सबसे पहले भ्रष्टाचार को दूर करना होगा। इसके लिए हर व्यक्ति को स्वयं में ये सोचना होगा कि मैं देश  के विकास के लिए क्या कर सकता हूँ ।
आज भारत में जो महंगाई है वह भी भ्रष्टाचार के कारण है। एक व्यक्ति भ्रष्टाचार से अपने परिवार में तो खुशियाँ   ला सकता है किन्तु वह यह नहीं सोचता कि इस भ्रष्टाचार से न जाने कितने लोगों लोगों का हक मारा गया है । आज एक गरीब परिवार को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है और देश का आम आदमी २० रूपये से भी काम आमदनी में जीवन जी रहा है तो देश  का भला कैसे हो सकता है।
                              जब तक भ्रष्टाचार का खेल राष्ट्र मे चलता रहेगा हम विकास के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकते । मेरा मानना है कि इसके लिए कितने भी कड़े  कदम उठाएं जाएँ | भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हो सकता जब तक हम स्वयं यह नहीं सोचेंगे कि भ्रष्टाचार देश के विकास में किस तरह रोड़ा बना हुआ है ......
                                                                                                            

लगा है नेताओं का बाजार
जनता जैसे गला आचार
कभी ना देखी ऐसी महंगाई
बिकने को है सब घर बार
त्राहिमाम जनता पुकारे
आब तो आ जाओ मोहन प्यारे
पांचजन्य फिर से बजाओ
सुदर्शन चक्र को लहराओ
महँगासुर है हमें सताता
तेरे सिवा ना कोई दाता
सरकार से अब आस ना रही
तू ही कुछ माया दिखादे
भ्रस्टाचारीओं का वध कर दो
धरती को पाप मुक्त कर दो
जनता रो रो करे दुहाई
अब तो आओ कृष्ण कन्हाई...................


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